


भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने न केवल देश के भीतर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की नई छवि गढ़ी है। लेकिन हाल ही में एक सवाल राजनीतिक गलियारों और आम जनता के बीच चर्चा में है — क्या नरेंद्र मोदी 75 वर्ष की आयु के बाद प्रधानमंत्री पद छोड़ देंगे? क्या भारतीय जनता पार्टी की '75 वर्ष' वाली रिटायरमेंट नीति इस पर लागू होगी?
दरअसल, भाजपा में एक परंपरा मानी जाती है कि 75 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नेताओं को सक्रिय राजनीति से दूर कर दिया जाता है। इसके उदाहरण भी सामने हैं, जैसे कि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और यशवंत सिन्हा। इन वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय पदों से दूर किया गया, जब वे इस आयु सीमा में पहुंचे। भाजपा इसे 'संस्थागत अनुशासन' का हिस्सा बताती रही है।
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदर्भ में स्थिति कुछ अलग और विशेष मानी जा रही है। मोदी 2025 में 75 वर्ष के हो जाएंगे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्हें पार्टी ने फिर से प्रधानमंत्री पद के लिए चेहरा बनाया। इसका सीधा संकेत यह है कि भाजपा की 75 वर्ष की उम्र सीमा कोई सख्त कानूनी बाध्यता नहीं है, बल्कि एक परंपरागत नीति है, जिसे परिस्थितियों के अनुसार लचीला रखा गया है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा में '75 की उम्र' का नियम नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया को सहज और व्यवस्थित रखने के लिए अपनाया गया था। लेकिन यह भी सच है कि जब नेतृत्व में कोई अपवाद योग्य व्यक्तित्व हो, जैसा कि नरेंद्र मोदी हैं, तो पार्टी इस नीति में लचीलापन दिखा सकती है।
साफ है कि भाजपा की रिटायरमेंट पॉलिसी कोई लिखित संविधान का हिस्सा नहीं है। यह पार्टी की कार्यप्रणाली का हिस्सा है, जो समय, परिस्थिति और जनभावना के अनुसार बदली भी जा सकती है।
जहां तक नरेंद्र मोदी की बात है, वे खुद कई बार कह चुके हैं कि वे सत्ता के लिए राजनीति नहीं करते, बल्कि सेवा और मिशन के भाव से कार्य करते हैं। इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि वे 75 की उम्र के बाद अपने पद से हट जाएंगे। जब तक जनता का समर्थन और पार्टी का विश्वास उनके साथ है, तब तक उनकी राजनीतिक यात्रा जारी रह सकती है।